Thursday, January 19, 2023

What is Counter Magnet Cities?

मेट्रो के बाद अब बनेगी काउंटर मैग्नेट सिटी

दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आबादी का दबाव कम करने के लिए अब जयपुर को काउंटर मैग्नेट सिटी बनाने की मशक्कत शुरू हो गई है। इसके साथ ही भरतपुर को एनसीआर में शामिल करवाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। अभी राजस्थान के केवल कोटा शहर को ही काउंटर मैग्नेट सिटी का दर्जा मिला हुआ है, जबकि अलवर जिला एनसीआर का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में हाल ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि अभी कोटा को ही काउंटर मैग्नेट सिटी का दर्जा मिला हुआ है, जबकि यह दिल्ली से दूर है। इसके बीच में जयपुर शहर है। वैसे भी दिल्ली के लोग अब जयपुर की ओर ही आकर्षित हो रहे हैं।
काउंटर मैग्नेट सिटी का मतलब क्या?
इसमें दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाहर कुछ शहरों को इस तरह से विकसित करना है ताकि बाहर से आकर दिल्ली और एनसीआर में रहने के इच्छुक लोगों को उन शहरों की ओर आकर्षित किया जा सके। इन शहरों में सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा, रेलवे कनेक्टिविटी आदि आधारभूत सुविधाएं दिल्ली जैसी ही उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाते हैं। इनके लिए केंद्र सरकार और एनसीआर प्लानिंग बोर्ड धनराशि उपलब्ध करवाते हैं। इसमें कुछ राशि कम ब्याज दर पर ऋण के रूप में होती है तो कुछ राशि मैचिंग ग्रांट के आधार पर अनुदान के रूप में मिलती है।
हमें यह मिलेगा फायदा
जयपुर शहर को वल्र्ड क्लास सिटी बनाया जा रहा है। मेट्रो का काम चालू है। काउंटर मैग्नेट सिटी बनने से विकास कार्यो के लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से हमें बहुत ही कम ब्याज दर पर ऋण के साथ-साथ कुछ अनुदान भी मिलेगा। शहर का व्यवस्थित विकास होने के साथ ही ऊंचे दर्जे का इन्फ्रास्ट्रक्चर मिलेगा।
कोटा को मिला फायदा
वर्ष 2001 में काउंटर मैग्नेटिक सिटी घोषित होने के साथ ही 880 करोड़ रु. के 6 प्रोजेक्ट मंजूर हुए। इनमें श्रीनाथपुरम आवासीय योजना में पेयजल व्यवस्था का काम चल रहा है। इसके साथ ही बड़ी सब्जी मंडी, अंतरराज्यीय बस स्टैंड, रंगपुर पर रेलवे ओवरब्रिज मंजूर हुए। करीब 300 परिवारों के लिए अरबन हाउसिंग स्कीम और रीको की ओर से औद्योगिक पार्क बनाने के प्रस्ताव भी मंजूर हो चुके हैं।
देश में अभी ये हैं काउंटर मैग्नेट सिटी
हिसार (हरियाणा), बरेली (उत्तर प्रदेश), कोटा (राजस्थान), पटियाला (पंजाब), ग्वालियर (मध्य प्रदेश) को काउंटर मैग्नेट सिटी घोषित किया हुआ है। देश के करीब 36 शहर ऐसे हैं जो दिल्ली से 100 से 400 किलोमीटर की परिधि में हैं। इनमें से कुछ शहरों को मैग्नेट सिटी के रूप में चयनित करने की मशक्कत चल रही है। इनमें हरियाणा के यमुना नगर, अंबाला, करनाल, पंजाब के बठिंडा, लुधियाना, राजस्थान में सीकर, अजमेर और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, सहारनपुर, इलाहाबाद हैं।
ऐसे बनते हैं काउंटर मैग्नेट सिटी
इसमें कोशिश यह रहती है कि दिल्ली से 400 किलोमीटर तक की परिधि में आने वाले शहरों को ही शामिल किया जाए। काउंटर मैग्नेट सिटी बनाने के लिए कई मापदंड बने हुए हैं।इनमें शहर का आकार और स्थिति, जनसंख्या वृद्धि, जनसंख्या घनत्व, उस शहर तक पहुंच, कॉरीडोर में लोगों के आने-जाने का फ्लो आदि को ध्यान में रखा जाता है। फिर राज्य सरकार से सलाह के बाद ही किसी शहर को काउंटर मैग्नेट सिटी का दर्जा दिया जाता है। इसके विकास के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एनसीआर प्लानिंग बोर्ड मिलकर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए संसाधन उपलब्ध करवाते हैं।
'यह सही है कि जयपुर को दिल्ली की काउंटर मैग्नेट सिटी बनाने और भरतपुर को एनसीआर रीजन में शामिल करवाने के प्रयास चल रहे हैं। इस बारे में मुख्यमंत्री गहलोत ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री को पत्र भी लिखा है। भरतपुर की सुजान गंगा नहर के विकास का प्रस्ताव नए सिरे से केंद्र को भिजवा रहे हैं, इसमें उनसे इसे विशेष मामला मानते हुए प्रस्ताव को स्वीकृत करने का आग्रह किया जा रहा है।
~ source DB